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By way of vivid storytelling and meticulous study, Rahul Sankrityayan weaves with each other a tale of Indian history, mythology, and philosophy. The novel explores the themes of social adjust, cultural continuity, plus the cyclical nature of lifetime. This Hindi fiction reserve is celebrated for its literary richness, historic depth, and the creator’s ability to present complex Strategies in an available way.

सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रखकर शायद पैर की उँगलियाँ या ज़मीन पर चलते चीटें-चींटियों को देखने लगी। अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास लगी हैं। वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी अमरकांत

The novel delves to the intricacies in their romance, inspecting the societal anticipations, moral dilemmas, and personal sacrifices they deal with. Since the figures navigate the issues posed by like, responsibility, and honour, the novel raises profound questions on the nature of fine and evil. This Hindi fiction ebook is celebrated for its deep exploration of human emotions and the philosophical themes it addresses.

राजा का दर्द – The Royal Toothache – Colouring and hygiene Hindi – The king from the jungle is getting a extremely painful toothache, he asks the opposite animals for aid but They can be all afraid of him. Hopeless, he lies in discomfort till he achieved a small mouse. That Despite the fact that how smaller he …

अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।

फिर हरी खुद ही घर से निकला और मिठाई की दूकान के सामने पहुँच गया। वह वहां खड़ा हो कर सोचने लगा की बिना पैसे के मिठाई कैसे खायी जाए। कुछ देर बाद उसने देखा की हलवाई दुकान अपने छोटे बेटे को सँभालने दे कर खुद सोने जा रहा है। यह देख कर हरी के दिमाग में एक तरकीब आयी। वह दूकान पर पहुंचा और मिठाई मांगने लगा। इस पर हलवाई के बेटे ने हरी से पैसे मांगे। हरी ने कहा की उसे मिठाई खाने के लिए पैसे देने की ज़रुरत नहीं है। हलवाई के बेटे को हरी की बात का यकीन न आया। हरी ने हलवाई के बेटे से कहा की की वह जाए और अपने पिताजी को बता आये की दुकान पर मिठाई खाने हरी आया है फिर देखते हैं वह क्या कहते हैं। हलवाई के बेटे ने ऐसा ही किया। हलवाई यह सुन कर भड़क गया की उसका बेटा उसे मक्खी के दूकान पर आने जैसी छोटी बात के लिए जगाने आ गया। उसने अपने बेटे को वहां डांट के भगा दिया। हलवाई के बेटे ने फिर हरी से कुछ न कहा। हरी ने मनपसंद मिठाई खायी और वहां से खिसक लिया।

वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। click here वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

Graphic: Courtesy Amazon Published by Agyeya, the pen title of Satchidananda Hirananda Vatsyayan, this Hindi fiction e book was originally printed in 1940. The novel is usually a groundbreaking get the job done and is considered a landmark in Hindi literature. Agyeya, an influential determine within the Chhayavaad movement, delivers to lifestyle the tumultuous journey in the protagonist, Shekhar, by means of many phases of his lifetime. The novel explores Shekhar’s evolution from the carefree and idealistic youth to a experienced specific grappling With all the complexities of lifestyle.

मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।

मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

दोनों भाई खेलने लगे, इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।

एक दिन राजा के नौकर ने ब्राह्मण से बक्शीश मांगी। ब्राह्मण कोई जवाब दिए बिना वहां से चला गया। नौकर ने ब्राह्मण को सबक सिखाने की ठानी। अगले दिन नौकर ने ब्राह्मण से कहा की राजा तुम से नाराज हैं क्योंकि उन्हें तुम्हारे मुँह से दुर्गन्ध आती है। ब्राह्मण घबरा गया और अगली बार राजा से मिलने अपने नाक मुँह पर कपड़ा रख कर गया।

''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर

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